Hanuman Chalisa In Hindi Language
श्री श्री हनुमान चालीसा अपनी हिंदी भाषा मैं
आप सब तो जानते है, की प्राचीन काल मैं सारे धर्म ग्रंथ लिखा गया था जिसे मैं सारे पूजनीय देबाताओं के बारे मैं लिखा गया है | जैसे की देबाताओं ने भिन्न भिन्न रूप धारण करके इस धरती पर जन्मा ले कर बहुत लीला रचना करके उनकी महिमा को सारा संसार को बताया है | और धर्म राह पर चलने को उपदेस दिए हैं | और इस संसार मैं रह कर उनकी आरधना के लिए कुछ स्वतंत्र मंत्र है, जिसे पाठ करने और सुनने और सुनाने पर मोक्ष मिलता है | अपनी दुःख साथ लड़ने का साहस मिलता है | Hanuman Chalisa In Hindi
|| श्री श्री हनुमान चालीसा ||
||" दोहा "||
|| श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ||
|| बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ||
|| बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पबन कुमार ||
|| बल बुद्धि बिद्या देहु मुंही हरहु कलेस बिकार ||
||" चौपाई "||
|| जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ||[१]
|| जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
॥ राम दूत अतुलित बल धामा ॥[२]
॥ अंजनी पुत्र पवन सूत नामा ॥
॥ महावीर बिक्रम बजरंगी ॥[३]
॥ कुमति निबरे सुमति के संगी ॥
॥ कंचन बरन बिराजे सुबेसा ॥[४]
॥ कानन कुंडल कुंचित केसा ॥
॥ हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै ॥[५]
॥ काँधे मूंजे जनेऊ साजै ॥
॥ संकर सुवन केसरी नंदन ॥[६]
॥ तेज प्रताप महा जग बंदन ॥
॥ विद्यावान गुनी अति चतुर ॥[७]
॥ राम काज करिबे को आतुर ॥
॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ॥[८]
॥ राम लखन सीता मन बसिया ॥
॥ सुक्ष्म रूप धरी सियाही दिखावा ॥[९]
॥ विकट रूप धरी लंका जारवा ॥
॥ भीम रूप धरी असुर संघारे ॥[१०]
॥ रामचंद्र के काज सँवारे ॥
॥ लाये संजीवन लखन जियाये ॥[११]
॥ श्री रघुवीर हरषि उर लाये ॥
॥ रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई ॥[१२]
॥ तुम मम प्रिये भारत-ही सम भाई ॥
॥ सहस बदन तुम्हरो यश गावे ॥[१३]
॥ अस कही श्रीपति कंठ लगावे ॥
॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ॥[१४]
॥ नारद सरद सहित अहीसा ॥
॥ यम कुबेर दिग्पाल जहाँ ते ॥[१५]
॥ कवी कोविद कही सके कहाँ ते ॥
॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ॥[१६]
॥ राम मिलाये राजपद दीन्हा ॥
॥ तुम्हरो मंत्र विभीषण मन ॥[१७]
॥ लंकेश्वर भये सुब जग जाना ॥
॥ युग सहस्त्र जोजन पर भानु ॥[१८]
॥ लील्यो ताहि मधुर फल जणू ॥
॥ प्रभु मुद्रिका मिली मुख माही ॥[१९]
॥ जलधि लाँघि गए अचरज नहीं ॥
॥ दुर्गाम कर्ज जगत के जेते ॥[२०]
॥ सुगम अनुग्रह तुम्हर तेते ॥
॥ राम द्वारे तुम रखवारे ॥[२१]
॥ होतन आज्ञा बिनु पैसारे ॥
॥ सुब सुख लहै तुम्हारी सरना ॥[२२]
॥ तुम रक्षक कहु को दर न ॥
॥ आपण तेज सम्हारो आपै ॥[२३]
॥ तीन्हों लोक हेंक ते काँपै ॥
॥ भूत पिसाच निकट नहीं आवै ॥[२४]
॥ महावीर जब नाम सुनवाई ॥
॥ नसे रोग हरै सब पीरा ॥[२५]
॥ जपत निरंतर हनुमंत बीरा ॥
॥ संकट से हनुमान छुड़ावै ॥[२६]
॥ मन करम वचन दयँ जो लावै ॥
॥ सुब पर राम तपस्वी राजा ॥[२७]
॥ तीन के कर्ज सकल तुम सजा ॥
॥ और मनोरथ जो कोई लावै ॥[२८]
॥ सही अमित जीवन फल पावै ॥
॥ चरों युग परताप तुम्हारा ॥[२९]
॥ है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
॥ साधु संत के तुम रखवारे ॥[३०]
॥ असुर निकंदन राम दुलहरे ॥
॥ अष्ट सीधी नव निधि के धता ॥[३१]
॥ उसवार दीं जानकी माता ॥
॥ राम रसायन तुम्हारे पैसा ॥[३२]
सदा रहो रघुपति के दसा
॥ तुम्हारे भजन राम को पावै ॥[३३]
॥ जनम जनम के दुःख बिसरावै ॥
॥ अंत काल रघुवीर पुर जाई ॥[३४]
॥ जहाँ जनम हरी-बख्त कहाई ॥
॥ और देवता चित न धरेहि ॥[३५]
॥ हनुमंथ से ही सर्वे सुख करेहि ॥
॥ संकट कटे मिठे सब पीरा ॥[३६]
॥ जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
॥ जय जय जय हनुमान गोसाहिन ॥[३७]
॥ कृपा करहु गुरुदेव की न्याहिं ॥
॥ जो सत बार पाठ करे कोही ॥[३८]
॥ चुटहि बंधी महा सुख होही ॥
॥ जो यह पढ़े हनुमान चालीसा ॥[३९]
॥ होये सिद्धि सखी गौरीसा ॥
॥ तुलसीदास सदा हरी चेरा ॥[४०]
॥ कीजै दस ह्रदये में डेरा ॥
॥ "दोहा"॥
॥ पवनतनय संकट हरण ॥
॥ मंगल मूर्ति रूप ॥
॥ राम लखन सीता सहित ॥
॥ ह्रदये बसहु सुर भूप ॥
Full meaning Hanuman Chalisa in hindi
॥"दोह"॥
श्री गुरु महाराज के कमल रूपक चरणों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पबित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का बर्णन करता हूं जो की चारो फल तथा धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष दाता हैं
हे प्रभु पवन कुमार हनुमान मैं आपको सुमिरण करता हूं आप तो जानते ही ह्नै की मेरा शरीर निर्बल और बुद्धि हीन हैं , प्रभु हनुमान मुझे बल बुद्धि और बिद्या देकर मेरे सरे दुःख को हरण कीजिए
Chopai meaning Hanuman Chalisa In Hindi
१- प्रभु जय हनुमान आपकी जय हो आप तो ज्ञान के सागर और गुण के भंड़ार हैं । हे कपीस आप की कीर्ति तीनो लोक तथा स्वर्ग लोक , भूलोक और पटल लोक मैं बिद्यमान हैं ।
२- आपका नाम अंजनी पुत्र पवन सूत और आप प्रभु रामचंद्र के दूत हैं आप ने ही प्रभु श्री राम से संदेसा माता सीता के पास लेकर गए थे ।
३- हे महावीर पराक्रमी वीर आप सर्बदा खराव बुद्धि और चिंतन को दूर कर के , अच्छी सोच ब्वालों की साथ देते हैं ।
४- आप का रंग सुन्हेरा और आप सर्बदा सुन्दर बस्त्र परिधान करते हैं और कानों मैं कुण्डल और आपका घुंगराले बाल आपको सोभा देता है ।
५- आपके हाथ मैं बज्र और ध्वजा है ,और आपके कंधे पर मुंजे के जनेऊ आपकी सोभा बढ़ाते है ।
६- आप प्रभु शिव संकर के अबतार हैं आपकी पराक्रम और महानता यशा सारे संसार मैं पूजा की जाती है ।
७- आप सबसे विद्यबान और गुनबान है और सारे कार्य मैं आप कुसल है परन्तु आप सर्बदा आप ने प्रभु राम के कार्य करने को आतुर रहते हैं ।
८- आप प्रभु श्री राम के चरित्र को सुनाने के लिए चाह प्रकास करते है और प्रभु राम लखन सीता सर्बदा आप की हृदय मैं बिराजमान होते हैं ।
९- आपने बहुत छोटा रूप धारण करके माता सीता को ठाब किया और भयंकर रूप धारण करके स्वर्ण लंका को जलाया ।
१०- आपने भीम रूप को धारण करके दानाबाओं का संघार किया और प्रभु राम के कार्य को सुगम और सफल बनाया ।
११- आपने संजीबनि बूटी केलिए बिसाल परबत लेकर प्रभु श्री राम के प्रिय भाई लखन को जीबित किया और प्रभु श्री राम खुसा हो के आप को आलिंगन किया ।
१२- प्रभु श्री राम आपकी बहुत प्रसंसा करके आपको कहा तुम मेरे प्रिय भरत जैसे भाई हो ।
१४- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दना, श्री सनसकुमार अदि मुनि ब्रम्हा अदि देबता नारदा जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी, सब आपका गुण गान करेंगे ।
१५- यमराज, कुबेर अदि सारे दिशाओं के रक्षक, कबि बिद्वान, पंडिता या कोई भी आपके यश का पूर्नता बर्नना नन्ही कर सकते ।
१६- अपने सुग्रीबा जी को श्री राम से मिलकर उनका उपकार किआ, जिसके कारण सुग्रीब किष्किंधा राज्य के राजा बने ।
१७- आप के उपदेश को बिभीषन माना जिसके कारण वे लंका के राजा बने और सारा संसारा उन्हें लंकेस्वर की मान्यता दिया ।
१८- जो सूर्य सहस्र योजना दुरी पारा है उसके पास जाने केलिए हजार युग लगेगा मगर अपने उसे मीठा फल समझकर अपना भोजन बनाया ।
१९- आपने प्रभु श्री राम जी की अंगूठी को मुंह मैं रखकर समुद्र को लांघ लिया यह असाध्य कार्य आप के दयारा समापन हुआ ।
२०- इस संसार मैं जितने कठिन से कठिन कार्य है वे तुम्हारे कृपा से सरल से अति सरल हो जाता है ।
२१- आप प्रभु श्री रामचंद्र जी के दयारा के रखवाले हैं, जंहा आपके अनुमति बिना कोई प्रबेषा नहीं कर सकता, अर्थात आप के दया बिना प्रभु श्री राम का कृपा मिलाना संम्भब नहीं हैं ।
२२- आप के पास जो सरण लेते हैं उन्हें सर्ब सुख प्राप्ति होता हैं और जब आप किसीके रक्षक बनते हैं उसे सारा संसार मैं किसीभी प्रकार का भय नन्ही होता ।
२३- आप अपने तेज को खुद संभालते हैं और आप की गर्जन से तीनो लोक तःथा सारा संसार कांप उठता हैं ।
२४- कोई मंद शक्ति तथा भूत, पिसाच कोई भी पास नहीं आता हैं जब आपके नाम सुनते हैं ।
२५- जो आप की नाम का जाप करता हैं आप उसके सारे रोग दुःख को हरण करते हैं ।
२६- जो कोई भी कार्य करने से पहले सोचता हैं और सर्बदा न्याय के राह पर चलता हैं आप उसे हर संकट से बचते हैं ।
२७- तपस्वी राजा प्रभु श्री राम चंद्र जी के सारे कार्य को अपना सरलता से कर दिया ।
२८- जिस पर आपकी कृपा हो, उसका जो भी अभिलास हो तो उसे ऐसा फल मिलता हे जिसकी जीबन कोई सिमा नहीं होते ।
२९- सत्ययुग, त्रेतायां, द्वापर तथा कलियुग इन चारो युग मैं आपका यश फल हुआ है , आपका कीर्ति समग्र संसार मैं सर्बत्र प्रकाश मन है ।
३०- हे श्री राम के दुल्हारे ! आप सर्बदा सज्जानो की रक्षा करते है उर द्रुस्टो का बिनस करते है ।
३१- जानकी माता से आप को ऐसा बरदान मिला है, जिसे आप किसी को भी आठों सीढिया और नओं निद्धिए दे सकते हैं ।
३२- राम रूपका रसायन जिसके दयारा सारा रोग , दुःख , पीड़ा हरण होसकता है और आप सर्बदा प्रभु श्री राम जी के सरण मैं रहते हैं ।
३३- आपका गुण गारिमा को भजन करने से प्रभु श्री राम प्राप्त होते हैं और जन्मा जन्मांतर के मै मुक़्ति देते है ।
३४- अंतिम समय में स्वर्ग जाते हैं और जड़ी फिर से जन्मा लेते तो हरी भक्त कहा लाएंगे ।
३५- है प्रभु हनुमान आप की सेबा पूजा करने पर संसारा का सारा सुख सन्ति प्राप्त होता है इस लिए किसी दूसरे देबातां को पूजा करना आबस्यक नन्ही है ।
३६- जो प्रभु हनुमान बलवीरा को भक्ति से पूजा करते हैं उनकी साडी संकट हैट जाती हैं और साडी पीड़ा दूर होता है ।
३७- है स्वामी पवन पुत्र आपकी जय हो , जय हो , जय हो , और आप मुझे पर कृपा कीजिए ।
३८- जो कोई हनुमान चालीसा को १०० बार पथ करेगा उसे सरे दुःख भरी बंधनों से मुक़्ति मिलेगी और उसे परमा संतोष प्राप्त होगा ।
३९- जो कोई आपकी हनुमान चालीसा की पथ करेगा उसे सर्बा सिद्धि मिलेगा इस के साक्षी स्वयंग भगब्वन शिव संकर हैं ।
४०- तुलसी दास सदा ही प्रभु श्री राम को आराधना करते हैं इस लिए आप उनके हृदय मैं रहते हैं ।
||"दोहा "||
है संकट मोचना पबाव कुमार और आप आनंद मंगलों के स्वरूपा हैं आप कृपा करके प्रभु श्री राम , सीता , लखन जी के साथ मेरे हृदय मैं बस कीजिए ।
हनुमान चालिसा का रचयता के नाम तुलसि दास है
मेरे बंधु अगर आपने कभि हनुमान चालिसा कि महिमा को अनुभब किये हो तो मुझे कमेंन्ट कर के बताए
अगर अपका कुछ संदेह है तो अप जरुर मुझे कमेंन्ट कर के बताए
Hanuman Chalisa In hindi
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